प्रधानाध्यापक पद के प्रोन्नति के लिए मिली हरी झंडी
परिषदीय तथा उच्च प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर प्रदुमानित का रास्ता तकरीबन एक दशक बाद साफ हो गया है। हालांकि प्रोन्नत में आरक्षण का लाभ देते हुए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों के समय से पहले पदोन्नति दे दी गई थी। हालांकि इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था निरस्त कर दिया है। और प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों ने प्रदोनाती अधिकारियों कर्मचारियों को वापस उनके मूल पद पर भेज दिया है। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग में पदोन्नति शिक्षकों को रिवार्ट नहीं किया गया है।
हालांकि इसके चलते हुए वरिष्ठता का विवाद बना रहा है। और 2015 के बाद से प्रोन्नति अभी तक रुकी हुई थी। वरिष्ठता मौलिक नियुक्ति से हो या नए कैलेंडर में प्रमोशन की तिथि में इस पर भी विवाद था। हालांकि सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के जिन शिक्षकों की पनोन्नति एससी एसटी तथा शिक्षकों के बाद हुई है। उन्हें लेकर कोर्ट में याचिकाय की थी हालांकि इस मामले में दया 36 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 11 मार्च को अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अनुसार वरिष्ठ का निर्धारण सेवा कैलेंडर में मौलिक नियुक्ति से करने के लिए आदेश जारी कर दिया है।